शायरी संग्रह
मयखाने में बेपरवाह बैठे जरुर हैं
पर कितना है पीना हम इतने होश में हैं
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रात भर आसमां में हम चाँद ढूढते रहे
चाँद था कि चुपके से मिरे आँगन में उतर आया !!
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एक ही चौखट पे सर झुके
तो सुकून मिलता है
भटक जाते हैं वो लोग
जिनके हजारों खुदा होते हैं --
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यह शहर जालिमो का है संभल कर चलना
लोग सीने से लग कर दिल ही निकाल लेते हैं
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ये भी एक तमाशा है इश्क ओ मोहब्बत में
दिल किसी का होता है और बस किसी का चलता है
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रूह तक नीलाम हो जाती है इश्क के बाज़ार में,
इतना आसान नहीं होता किसी को अपना बना लेना
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मैं सांवरा सा लगता भी हूँ तुम्हारे गोरेपन में
मगर मेरे जज्बात की खूबसूरती भी कम नहीं
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मेरी इबाबतो को ऐसे कर कबूल ऐ खुदा
के सजदे में ,मै झुकू तो हर रिश्तों कि जिन्दगी सवर जाये !
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जिंदगी के राज़ को रहने दो,
अगर है कोई ऐतराज़ तो रहने दो,
पर जब दिल करे हमें याद करने को,
तो उसे ये मत कहना के आज रहने दो
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जिनके मिलते ही ज़िन्दगी में ख़ुशी मिल जाती है
वो लोग जाने क्यों ज़िन्दगी में कम मिला करते हैं।
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ज़ख़्म जब मेरे सिने के भर जाएँगे,
आँसू भी मोती बनकर बिखर जाएँगे,
ये मत पूछना किस किस ने धोखा दिया,
वरना कुछ अपनो के चेहरे उतर जाएँगे
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मुझसा कोई जहाँ में नादान भी न हो ,
कर के जो इश्क कहता है नुकसान भी न हो ...!!